पानीपत. आपने जमीन के टुकड़े के लिए आपस में भाई-भाई को लड़ते और हत्या करते तो देखा होगा, लेकिन अपनी पुश्तैनी जमीन को किसी अपने ही एक भाई के नाम करवाते शायद ही कभी देखा होगा. जी हां. हरियाणा के अलग-अलग शहरों में बसे पानीपत के रहने वाले 43 सदस्यों ने पानीपत तहसील पहुंचकर अपनी 133 वर्ग गज जमीन को परिवार के सदस्य महिला ऋतु के नाम कर दिया. इसके लिए उन्होंने कोई पैसा नहीं लिया.
महिला ऋतु ने अपने परिवार के बाकी सभी सदस्यों को गुलाब का फूल देकर आभार प्रकट किया. दरअसल, आज के स्वार्थ भरे जीवन में तो शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रम में भी शायद इतने दूर-दूराज के रिश्तेदार शामिल नहीं हो पाते, जितने अपने पुश्तैनी घर के मालिकाना हक के लिए 43 वारिस तहसील पहुंच गए.
खेल बाजार निवासी कुलभूषण वर्मा ने बताया कि उनके दादा स्वर्गीय आशानंद वर्मा के नाम पर 133 गज पुश्तैनी घर है. इसी घर में दादा-दादी, ताऊ, पिता व चाचा का जीवन बीता. दोनों बुआ की शादी इसी घर से हुई. अब इस घर की रजिस्ट्री उनकी पत्नी रीतू वर्मा के नाम हुई है.
परिवार में कुल 43 हिस्सेदार थे
दादा आशानंद वर्मा के 4 बेटे और 2 बेटियां थीं, जिनमें बेटे मास्टर आत्मप्रकाश, दुलीचंद, श्याम लाल व लेखराज और बेटियां देवी बाई और मंगो बाई थीं. इन सभी का स्वर्गवास हो चुका है. आत्म प्रकाश के 2 बेटे मोहन लाल व लाजपत राय का स्वर्गवास हो चुका है. उनके 2-2 बच्चे हैं. दुलीचंद के 5, श्यामलाल, लेखराज, देवी बाई और मंगो बाई की 6-6 औलाद हैं.
तय समय पर पहुंचे सभी लोग
लेखराज के सबसे छोटे बेटे कुलभूषण वर्मा की पत्नी के नाम पुश्तैनी घर की रजिस्ट्री की प्रक्रिया 27 जून 2022 को शुरू की थी. वारिसाना रिपोर्ट निकलवाई और सिर्फ उनके पिता, चाचा, बुआ, ताऊ को ही हस्ताक्षर करने थे, लेकिन पहले उनके पिता, फिर चाचा, बुआ और ताऊ चल बसे. इसके बाद सभी रिश्तेदारों की सूची तैयार कर सभी को फोन पर रजिस्ट्री के बारे में पूछा तो सभी एक ही जवाब दिया कि जिस दिन भी तारीख मिलेगी बिना किसी लालच सभी पहुंचेंगे. सारी औपचारिकताएं पूरी कर 29 जनवरी को आवेदन किया तो 1 फरवरी 2024 का समय मिला. सभी समय से पहले ही पहुंच गए.
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FIRST PUBLISHED : February 2, 2024, 13:39 IST